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जापान की मदद से भारत जानेगा, आखिर हिमालय में कितना है वायु प्रदूषण

Updated: Sep 30, 2021



  • हिमालय पर वायु प्रदूषण का असर जानने के लिए अब जापान भी मदद के लिये सामने आया है। नैनीताल के आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) ने जापान की तरफ से चलाए जा रहे प्रोजेक्ट आकाश के जरिए पहला पार्टिकुलेट मैटर 2.5 (पीएम) कॉम्पेक्ट सेंसर स्थापित किया। यह स्तर मापने का एक काम्पेक्ट सेंसर है। यह 2.5 माइक्रोमीटर व्यास (डायामीटर) वाले धूल या गैस के कण होते हैं, जो सामान्य आँखों से नहीं दिखाई देते। नैनीताल से इसकी शुरुआत करते हुए हलद्वानी के बीएसएनएल कॉलोनी में बनाए गए सेंटर में यह सेंसर सबसे पहले स्थापित किया गया।

  • नैनीताल स्थित एरीज के वायुमंडल वैज्ञानिक डॉ. नरेन्द्र सिंह ने बताया है कि प्रदेश के सभी जिलों में जापान की मदद से पीएम 2.5 स्तर नापने के उपकरण को स्थापित करने का काम शुरू हो गया है। यह सेंसर रोजाना पीएम 2.5 का स्तर उपलब्ध कराने में समक्ष है। देहरादून, हरिद्वार और ऊधम सिंह जैसे नगरों में यह सेंसर स्थापित करने की जगह देखी जा चुकी है और इसके साथ ही बाकी के पर्वतीय क्षेत्रों में भी यह सेंसर जल्द ही स्थापित कर दिया जाएगा। इससे हिमालय पर पड रहे वायु प्रदूषण के असर का सही आंकलन उपलब्ध होगा और यह हमें उसके अध्ययन और शोध में भी काफी मददगार साबित होगा।

  • जापान की ओर से चलाई गई इस योजना का मुख्य उद्देश्य हिमालय पर पड रहे वायु प्रदूषण के असर पर कडी निगरानी रखना है। प्रदूषण नियंत्रण विभाग ने चार स्थानों पर यह सेंसर लगाए तो हैं लेकिन इनके आंकड़े वैज्ञानिक दृष्टि से भरोसेमंद नहीं है क्योंकि इसमें ज्यादातर काम मैनुअल तरीके से होता है जिससे कभी भी नतीजों में बदलाव किया जा सकता है। दरअसल अब तक हुए शोध में यह साबित हो चुका है कि मैदानों का प्रदूषण हिमालय के ऊंचे पहाड़ों तक पहुंच रहा है। लेकिन अब इसे मापने की व्यवस्था की जा चुकी है। और अब हर जापानी वैज्ञानिक की मदद से आगे बढ़ रही इस योजना के जरिए वायु प्रदूषण के सही आंकड़े उपलब्ध हो पाएंगे।

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