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Writer's pictureBhuvan Sharma

बीजेपी MLA और राज्य आंदोलनकारी में तीखी बहस और मारपीट, वीडियो हुआ वायरल

किच्छा में राज्य स्थापना दिवस के कार्यक्रम में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया. यहां भाजपा विधायक और राज्य आंदोलनकारी के बीच जमकर तू-तू, मैं-मैं होने लगी. मामला मारपीट तक पहुंच गया. भाजपा विधायक के हाथों सम्मान लेने से इंकार करते हुए राज्य आंदोलनकारियों ने समारोह का बॉयकॉट कर दिया.
बीजेपी MLA राजेश शुक्ला और राज्य आंदोलनकारी एवं कांग्रेस के जिला अध्यक्ष नारायण सिंह बिष्ट आमने-सामने आ गए.

उधम सिंह नगर: उत्तराखंड में आज जगह जगह स्थापना दिवस की धूम देखी गई. कहीं सरकारी तो कहीं सामाजिक कार्यक्रमों का सिलसिला चलता रहा. शहीद राज्य आंदोलनकारियों को याद कर उनकी प्रतिमा को पुष्पांजलि अर्पित की. इस बीच एक तस्वीर किच्छा से आई जिसने सभी को हैरान कर दिया. दरअसल यहां पर राज्य स्थापना दिवस कार्यक्रम में भाजपा और राज्य आंदोलनकारी आमने सामने आ गए. मामला तू-तू मैं मैं से बढ़कर मारपीट तक पहुंच गया. पुलिस ने बीच बचाव कर किसी तरह से मामले को शांत कराया. हाइवोल्टेज ड्रामे के बाद कई राज्य आंदोलनकारी कार्यक्रम का बॉयकॉट कर वहां से चले गए.


डेढ़ घंटा लेट पहुंचे विधायक

दरअसल, किच्छा में राज्य आंदोलनकारियों के सम्मान में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था. बारी बारी से राज्य आंदोलनकारी मंच से अपनी बात रख रहे थे. इसी बीच इस कार्यक्रम में भाजपा विधायक राजेश शुक्ला भी पहुंचे. वो तकरीबन डेढ़ घंटा देरी से आए थे. यहां तक तो सब ठीक था लेकिन जैसे ही विधायक जी कार्यक्रम स्थल पर हुंचे वैसे ही मंच से राज्य आंदोलनकारियों के संबोधन को रोक दिया गया. बस फिर क्या था, इस अपमान को होते देख राज्य आंदोलनकारियों ने वहीं पर विरोध करना शुरु कर दिया.


विधायक पर लगाया गंभीर आरोप

हंगामा बढ़ने के आसार देख जिला प्रशासन ने किसी तरह सभी को सम्मानित किया और कोशिश की फिर से कार्यक्रम को शुरु करने की लेकिन प्रशासन की ये कोशिश भी नाकामयाब ही रह गई. आंदोलनकारी नहीं माने. इसी बीच एक आंदोलनकारी जो कांग्रेस नेता भी हैं, उन्होनें विधायक राजेश शुक्ला पर आरोप लगाते हुए कह दिया कि वो ऐसे विधायक से सम्मानित नहीं होना चाहते हैं जो खुद राज्य बनने का विरोधी रहा हो.

अब ये बात सुनकर विधायक गुस्से से लाल हो गए. कहासुनी अब और ज्यादा बढ़ने लगी. किसी तरह से बीच बचाव कर अधिकारियों ने मामले को शांत कराया. वहीं कई राज्य आंदोलनकारी कार्यक्रम का बहिष्कार कर वहां से चले गए. अब ये मामला सियासी तूल पकड़ता जा रहा है.

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