साल था 2013, 27 अक्टूबर की तारीख थी और जगह थी बिहार की राजधानी पटना का गांधी मैदान. भाजपा की हुंकार रैली में मंच से भाषण दे रहे थे तत्कालीन पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी, तभी हुए सिलसिलेवार धमाके. इस हमले में कुल 6 लोगों की मौत हुई थी और 89 लोग घायल हुए थे. अब इस मामले में आठ साल बाद NIA की विशेष अदालत ने अपना फैसला सुनाया है. पटना की NIA कोर्ट ने 27 अक्टूबर को 10 में से 9 आरोपियों को दोषी करार दिया है. सबूतों के अभाव में वहीं एक आरोपी को बरी कर दिया है.
मोदी थे आतंकियों का निशाना
आतंकियों का प्लान था उस वक्त के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को मानव बम से उड़ाना. बाकायदा इसके लिए पूरी तैयारी की हुई थी। आतंकियों ने जो प्लान बनाया था उसके मुताबिक उन्हें बम से लैस जैकेट पहनकर नरेंद्र मोदी के पास जाना और फिर बम से उड़ा देना। तैयारी इतना पुख्ता थी कि आतंकियों ने रांची में मानव बम का ट्रायल भी किया था, इसके लिए उन्होनें रांची में ध्रुवा डैम के पास सिथियो गांव को अपना ठिकाना बनाया था।
ऐसे किया था आंतकियों ने मानव बम का ट्रायल
चमड़े का जैकेट में बम लगाया और उसे खजूर के पेड़ में लटका दिया. रिमोट के जरिए ब्लास्ट करने की कोशिश की लेकिन ये कोशिश कामयाब नहीं हो पाई. इसी वजह से 27 अक्टूबर यानि हमले वाले दिन आतंकियों को अपनी प्लानिंग बदलनी पड़ी।
बम बनाने में माहिर था ब्लैक ब्यूटी
इस मामले में हैदर अली, मुजीबुल्लाह, अंसारी नुमान, अंसारी उमर सिद्दीकी, अजहरुद्दीन कुरैशी, फखरुद्दीन, अहमद हुसैन, इम्तियाज अंसारी, इफ्तेखार आलम और फिरोज असलम की गिरफ्तारी की गई थी. इस मामले में कुछ बड़े खुलासे हुए जिनमें सामने आया कि झारखंड का रहने वाला हैदर अली उर्फ ब्लैक ब्यूटी बम बनाने में माहिर है। जिहाद के नाम पर ये आतंकी मीटिंग करने के लिए झारखंड और छत्तीसगढ़ के जंगलों को चुना करते थे.
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