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Writer's pictureBhuvan Sharma

कोयला खत्म तो बत्ती गुल ? दिल्ली समेत कई राज्यों में 'ब्लैकआउट' का खतरा !

केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने अपने आवास पर बिजली कंपनी के प्रतिनिधियों और मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक की। इस बैठक में कोयले की आपूर्ति और बिजली के उत्पादन को लेकर चर्चा की गई। बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा कि बिजली कंपनियों के पास साढ़े चार दिन का स्टॉक है। हम मॉनिटर कर रहे हैं। कहीं भी कोयले की कमी नहीं है। कुछ लोग भ्रम फैला रहे हैं।

राज्‍यों के पास कोयले का बहुत कम स्‍टॉक बचा है

क्या देश में कोयले का स्टॉक खत्म होने जा रहा है? क्या इससे देश में बिजली का बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा?

क्या देश की बिजली गुल हो जाएगी? क्या दिल्ली में बिजली संकट की आहट शुरु हो गई है? ये वो तमाम सवाल हैं जो देशवासियों के मन में दो तीन दिनों से लगातार घूम रहे हैं। आज इन तमाम सवालों को लेकर इस मामले में एक अहम बैठक केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह (Minister RK Singh) के आवास पर हुई। इस बैठक में कोयले की कमी से निपटने के लिए इंतजामों पर चर्चा की गई। निजी बिजली कंपनियों के प्रतिनिधी (बीएसईएस, टाटा पावर, एनटीपीसी) और वरिष्‍ठ अधिकारी (ऊर्जा मंत्रालय) इस बैठक में शामिल थे।

इस बैठक के खत्म होने के बाद केंद्रीय ऊर्जा मेंत्री आरके सिंह (Energy Minister RK Singh) ने कहा कि राजधानी दिल्ली में बिजली का कोई संकट नहीं है. हमारे पास कोयले का भरपूर स्टॉक है. संकट को बेवजह प्रचारित किया गया है. गौरतलब है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कोयले के संकट और बिजली आपूर्ति की समस्या को लेकर पीएम मोदी को खत लिखा था जिसे ट्विटर पर शेयर करते हुए दिल्ली के सीएम ने लिखा था कि "दिल्ली को बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है. मैं व्यक्तिगत रूप से स्थिति पर पैनी नजर रख रहा हूं. हम इससे बचने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. इस बीच, मैंने माननीय प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखकर उनके व्यक्तिगत हस्तक्षेप की मांग की है.” इसी खत और उसमें लिखी बातों को अब केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने भ्रामक बताते हुए दावा किया है कि बिजली का कोई संकट नहीं है और कोयले का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है। ऊर्जा मंत्री आरकेसिंह ने कहा कि कुछ लोग बेवजह भ्रम फैला रहे हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बिजली संयंत्रों के पास महज 4 दिन का कोयले का स्टॉक है, इसी वजह से देश में कोयला संकट और बिजली संकट की चर्चा ज़ोर पकड़ने लगी है। इस बात पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने आज बैठक के बाद की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि 'हर दिन हमारे अधिकारी कोयले के स्टॉक की निगरानी कर रहे हैं. आज के दिन में करीब 4 दिन से ज्यादा का स्टॉक हमारे पास है. कल 1.8 मिलियन टन की खपत हुई,उतना स्टॉक मिला.' उन्होंने आगे कहा कि, 'जो 17 दिन के स्टॉक से 4 दिन का आ गया था, वो अब फिर से बढ़ेगा. इसकी भी चिंता करने की जरूरत नहीं है.'

बिजली आपूर्ति को लेकर राज्यों की ओर से लिखे जा रहे पत्रों पर आरके सिंह ने कहा कि 'जितनी बिजली की जरूरत है, उतनी पैदा हो रही है. जिसे जितनी जरूरत है, उसे उतनी सप्लाई हो रही है. अगर कहीं नहीं हो रही है तो हमें बता दीजिए. जितने पॉवर की जरूरत होगी, हम उतनी सप्लाई करेंगे. आज हमारे पास 4.5 दिन का कोयले का स्टॉक है. तो ये कहना है कि जितने कोयले की जरूरत थी, उतना नहीं मिला, ये कहना भ्रामक है. आपको जितना चाहिए, आपको मिलेगा.'

गौरतलब है कि हाल ही में टाटा पावर कंपनी ने उपभोक्ताओं को बिजली कटौती को लेकर एक मैसेज भेजा था जिसमें इस बात का जिक्र था कि कोयला संकट की वजह से बिजली ठप हो सकती है। इस बात का भी जिक्र करते हुए केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा कि 'ये क्राइसिस था नहीं, क्राइसिस होगा नहीं. ये क्राइसिस बेवजह बनाया गया. टाटा पॉवर ने संभावित बिजली कटौती को लेकर मैसेज भेज दिया. हमने सीईओ को चेतावनी दी है कि अगर अगली बार से कोई ऐसा मैसेज भेजा जाता है जिससे लोगों में डर पैदा हो, तो फिर कार्रवाई की जाएगी.' दरअसल टाटा पावर जो दिल्ली के उत्तरी हिस्से में बिजली सप्लाई करती है, उसने बिजली उपभोक्ताओं को संदेश भेजा जिसमें लिखा था कि राजधानी में दोपहर 2 बजे से शाम 6 बजे तक सप्लाई पर असर पड़ सकता है। अगर जल्द ही कोयला सप्लाई नहीं की गई तो 2 दिन बाद बड़े स्तर पर कटौती शुरू हो सकती है।

भारत में लगभग 70% बिजली का उत्पादन कोयले से होता है। देशभर में 135 पावर प्लांट हैं जो कोयले से बिजली का उत्पादन करते हैं। जानकारी सामने आई है कि इन पावर प्लांट्स के पास बिजली उत्पादन के लिए कोयले का स्टॉक काफी कम रह गया है। करीब-करीब 2 से चार दिन का स्टॉक ही बचा है जो पहले 15 से 17 दिनों तक का होता था।

ऐसा नहीं है कि भारत में कोयला उत्पादन कम हुआ है, बल्कि इस बार तो कोयले का बंपर उत्पादन हुआ है लेकिन फिर भी क्यों बिजली संयंत्रों में इसकी कमी है या स्टॉक कम हो रहा है। इसके पीछे की वजह है बरसात, इस बार ज्यादा बारिश होने की वजह से खदानों से पावर प्लांट्स तक कोयले की सप्लाई में बाधा आ रही है और इस प्रक्रिया में वक्त लग रहा है। कोयला सचिव अनिल कुमार जैन ने कहा कि बारिश के चलते खानों में पानी भर जाने से पावर प्लांट्स को रोज 60 से 80 हजार टन कम कोयला मिल रहा है। गौरतलब है कि देश की लगभग तीन चौथाई कोयले की जरूरत घरेलू खानों से पूरी होती है।

वहीं दूसरी तरफ बिजली कंपनियों के पास कोयले के स्टॉक को बढ़ाने का जो दूसरा विकल्प है उसमें भी मुश्किलें है क्योंकि विदेशों से आयात होने वाले कोयले की कीमतें भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं. अब कंपनियों के सामने दुविधा ये है कि नीलामी में जो भी कोयला मिले, उसके लिए ज्यादा प्रीमियम दें या विदेशी बाजार से मंगाएं, जहां पहले से कीमत रिकॉर्ड हाई लेवल पर है।

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