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Writer's pictureBhuvan Sharma

उत्तराखंड के मकानों में अचानक पड़ने लगी दरारें, दहशत में आए लोग

उत्तराखंड जहां इस बार बरसात ने ऐसा तांडव मचाया कि लोग पहाड़ों का रुख करने से कतराने लगे । वहीं जो लोकल लोग हैं वो डर के साए में जीने को अभिशप्त नज़र आए। अब जब मॉनसून की विदाई हो चुकी है तब भी एक गांव है जहां लोगों के दिलो दिमाग में दहशत मौजूद है। हम बात कर रहे हैं रुद्रप्रयाग के मरोड़ा गांव की। यहां के लोग खौफ के साए में जीने को क्यों मजबूर है ये समझने के लिए आपको इन तस्वीरों को देखना होगा।

मकानों और घर के आंगन में पड़ रही दरारों ने लोगों की रातों की नींद उड़ा कर रख दी है। किसी भी वक्त कोई अनहोनी घटने का डर बना रहता है। दरअसल ये सब हुआ है ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन निर्माण की वजह से। दरअसल उत्तराखंंड में ये रेल परियजोना (ऋषिकेश-कर्णप्रयाग) केंद्र सरकार का एक बड़ा और महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट है और इसी परियोजना के तहत हाल में सुमेरपुर से गौचर के लिए निर्माण कार्य चल रहा है। पहाड़ का सीना चीरकर गांवों के नीचे से सुरंग बन रही है, जिस जिस गांव के नीचे सुरंग है वहां के लोगों का सुख चैन छिन गया है। लोगों के घरों में इस तरह की दरारें पड़ने लगी हैं, रात-रातभर लोग किसी अनहोनी के डर की आशंका के कारण सो नहीं पाते। ऐसा ही एक गांव है मरोड़ा। यह तस्वीरें इसी गांव की हैं जहां के कई मकानों में दरारें पड़ गई हैं, जो भविष्य में किसी बड़े हादसे या अनहोनी का इशारा कर रही हैं। सिर्फ मरोड़ा ही नहीं घोलतीर में भी लोग रेलवे निर्माण से पड़ी दरारों को लेकर खौफज़दा हैं। हालात तो यह हैं कि इन जगहों पर अभी सुरंग का काम तक शुरु नहीं हुआ है लेकिन गांव के कई मकान हैं जो ढहने की कगार पर आ गए हैं। गांव वालोंं ने प्रशासन और रेलवे बोर्ड से क्षेत्र का मौका मुआयना करने की मांग करने के साथ ही विस्थापित करने की मांग की है. गांव वालों की शिकायत है कि यहां लगातार सुरंग के लिए विस्फोट किया जाता है और इससे आसपास के क्षेत्र में कंपन होता है, दिन रात चल रहे काम से खेतीबाड़ी से लेकर स्कूल बच्चों की पढ़ाई तक प्रभावित हो रही है। वहीं डीएम मनुज गोयल ने इस संबंध में कहा कि गांव वालों की शिकायत उप जिलाधिकारी को भूगर्भीय टीम के साथ जांच करने के निर्देश दिए गए हैं।

साफ है कि गांव वालें जिस दहशत से गुजर रहे हैं उसे सिर्फ वही महसूस कर सकते हैं। बरसात से होने वाले खतरे तो समय के साथ टल सकते हैं लेकिन इस मानवीय कृत्य के दुष्परिणामों को कैसे रोका जाएगा असल सवाल तो यही है क्योंकि इसका असर दूसरगामी और व्यापक होगा।



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