देश की सुप्रीम अदालत ने आंदोलनरत किसान महापंचायत को फटकार लगाते हुए कड़े शब्दों में टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि आप लोगों की वजह से सड़कें जाम हो गई हैं. लोग सड़कों पर कई घंटे तक खड़े रहते हैं. आपने पूरे शहर को बंधक बनाया और अब शहर के अंदर घुसना चाहते हैं.
शुक्रवार को कोर्ट ने किसान महापंचायत नामक संगठन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए न सिर्फ टिप्पणी की, बल्कि फटकार भी लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा "आप ट्रेन रोक रहे हैं, हाईवे बंद कर रहे हैं। क्या शहरी लोग अपना बिजनेस बंद कर दें? क्या ये लोग शहर में आपके धरने से खुश रहेंगे?", दरअसल किसान महापांचत ने सुप्रीम कोर्ट से जंतर मंतर पर सत्याग्रह की अनुमति मांगी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस सुनवाई में कहा कि, जब पूरे शहर को पहले से ही किसानों ने अवरुद्ध कर रखा है तो अब वे शहर के भीतर प्रदर्शन क्यों करना चाहते हैं?
जस्टिस एएम खानविलकर और रविकुमार की बेंच ने भी टिप्पड़ी करते कहा कि वे कृषि कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं जो यह दर्शाता है कि उन्हें कोर्ट पर भरोसा है। ऐसे में फिर विरोध प्रदर्शन की भला क्या आव्यशकता?
दूसरी ओर, अजय चौधरी, महापंचायत की ओर से पेश वकील ने प्रदर्शन शांतिपूर्ण होने का दावा किया।
उन्होंने महापांचात पर लगे आरोपों को गलत ठहराते हुए कहा कि हाईवे बंद करने का काम उनका नहीं बल्कि पुलिस का था जिसके बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया था। उन्होंने महापंचायत को एक अलग ग्रुप बताया।
अब 4 अक्टूबर, सोमवार को इसकी अगली सुनवाई होगी। कोर्ट ने इस संगठन से हलफनामा पेश और साबित करने की मांग की है कि वे राजधानी के बॉर्डर पर हो रहे प्रोटेस्ट का हिस्सा नही हैं।
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