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Writer's pictureRai Shumari

किसान, एक रास्ता चुनें. कोर्ट, संसद या सड़क पर प्रदर्शन - सुप्रीम कोर्ट

किसान आंदोलन के खिलाफ आज एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने सड़कों पर चल रहे प्रदर्शन को लेकर सवाल उठाते हुए पूछा की - ' जब तीनों कानूनों पर रोक है, मामला अदालत में है, तो फिर प्रदर्शन क्यों हो रहा है ?'। साथ ही कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि 'जब आंदोलन के दौरान कोई हिंसा होती है. सार्वजनिक संपत्ति नष्ट होती है तो कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. जान और माल की हानि होती है तो कोई जिम्मेदारी नहीं लेता"

Supreme Court में हुई सुनवाई में लखीमपुर खीरी हिंसा का मामला भी उठा

आज किसान आंदोलन (Farmer's Protest) को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में हुई सुनवाई में कोर्ट ने इस बात पर सवाल उठाया की जब मामला कोर्ट के पास है तो सड़कों पर प्रदर्शन क्यों किया जा रहा है। यहीं नहीं कोर्ट ने कहा कि जब तीन कृषि कानूनों को लागू करने पर कोर्ट ने रोक लगा रखी है तो सड़कों को बंद कर किया जाने वाला ये प्रदर्शन क्यों जारी है। वहीं किसान महापंचायत के वकील ने कहा कि उन्होनें किसी सड़क को ब्लॉक नहीं कर रखा है। इतना ही नहीं किसान महापंचायत के वकील ने कहा कि वो सिर्फ कानूनों को रद्द करने की मांग ही नहीं कर रहे बल्कि एमएसपी की मांग भी कर रहे हैं। आपको बता दें कि कल लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri) हिंसा का मामला भी अदालत की सुनवाई के दौरान उठा। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब किसानों ने कृषि कानूनों को अदालत में चुनौती दी है तो फिर विरोध प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं। वहीं केद्र की तरफ से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि कल लखीमपुर खीरी में हुई घटना हुई. 8 लोगों की की मौत हो गई. विरोध इस तरह नहीं हो सकता. जस्टिस खानविलकर ने कहा कि जब आंदोलन के दौरान कोई हिंसा होती हैं, सार्वजनिक संपत्ति नष्ट होती है तो कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. जान माल की हानि होती है, कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जब मामला पहले से ही अदालत में है तो लोग सड़कों पर नहीं उतर सकते. वहीं आपको बता दें कि किसान महापंयायत की ओर से जंतर मंतर पर सत्याग्रह करने की मांग की गई है। कोर्ट ने कहा कि आपने कानून की वैधता को चुनौती है। हम पहले वैधता पर फैसला करेंगे, प्रदर्शन का सवाल ही कहां है? जब अदालत ने पूछा कि जंतर मंतर पर प्रदर्शन का क्‍या तुक है तो वकील ने कहा कि केंद्र ने एक कानून लागू किया है। इसपर बेंच ने तल्‍ख लहजे में कहा कि 'तो आप कानून के पास आइए। आप दोनों नहीं कर सकते कि कानून को चुनौती भी दे दें और फिर प्रदर्शन भी करें। या तो अदालत आइए या संसद जाइए या फिर सड़क पर जाइए। जस्टिस एमएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, 'एक ओर आप कोर्ट में याचिका दायर कर इंसाफ मांगने आए हैं और दूसरी ओर विरोध प्रदर्शन भी जारी है. राजस्थान हाईकोर्ट में भी याचिका दायर कर रखी है आपने. हम चाहते हैं कि दोनों याचिकाओं पर एकसाथ सुनवाई हो. क्योंकि राजस्थान हाईकोर्ट में इन कानूनों की वैधता को चुनौती दी गई है.' कोर्ट ने सवाल किया, 'जब मामला अदालत में है तो आप प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं?' इस पर किसान महापंचात के वकील अजय चौधरी ने कहा, 'हमारा प्रदर्शन कानूनों के खिलाफ ही नहीं है, बल्कि हम एमएसपी भी मांग रहे हैं.' इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'अगर याचिकाकर्ता की ओर से कानून को एक कोर्ट मे चुनौती दी गई है तो फिर क्या मामला अदालत में लंबित रहते हुए विरोध प्रदर्शन की इजाजत दी जा सकती है? प्रदर्शन की इजात मांगने का क्या औचित्य नहीं है?' बहरहाल अब इस मामले की अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को होगी।

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