लखीमपुर खीरी मामले में केंद्रीय राज्य मंत्री के बेटे और मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा के खिलाफ पुलिस ने समन जारी किया। 8 अक्टूबर तक पेश होने को कहा। घर के बाहर चिपकाया नोटिस ।
लखीमपुर खीरी का मामला दिनोंदिन गर्माता जा रहा है। केंद्रीय मंत्री और उनके आरोपी बेटे पर कानूनी कार्रवाई की मांग के जोर पकड़ने के बीच अब खबर आई है कि यूपी पुलिस ने केंद्रीय राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा और उनके आरोपी बेटे आशीष मिश्रा को हिंसा के सिलसिले में कल यानि 8 अक्टूबर को पेश होने को कहा है। बाकायदा अजय मिश्रा के घर के बाहर नोटिस चस्पा किया गया है। गौरतलब है कि इस केस में सर्वोच्च अदालत (सुप्रीम कोर्ट) की सख्ती के बाद दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है लेकिन मुख्य आरोपी मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा के खिलाफ कोई एक्शन ना लेने और किसी तरह की पुलिसिया पूछताछ ना होने पर लोग खासे नाराज़ थे और लगातार योगी सरकार पर सवाल उठाए जा रहे थे कि अपनी पार्टी के लोगों को बचाने का काम ये सरकार कर रही है, इन सब के बीच अब आखिरकार यूपी पुलिस ने इस मामले में समन जारी कर दिया है।
लखनऊ जोन की पुलिस महानिरीक्षक लक्ष्मी सिंह ने बताया कि आशीष मिश्रा को पूछताछ के लिए बुलाया गया है। अगर वो नहीं आते हैं तो कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाएगी। हालांकि, पुलिस महानिरीक्षक ने कहा कि आशीष को भेजे गए समन में किसी समय सीमा का जिक्र नहीं है। इस मामले में कुछ लोगों से पूछताछ की जा रही है।अपनी इन बातों में जो एक और खास बात आईजीपी लक्ष्मी सिंह ने कही वो ये कि, फायरिंग या किसी हथियार से घायल होने की घटनाओं की पुष्टि नहीं हुई है। इसलिए हमें अन्य सबूतों के साथ आगे बढ़ना होगा जो हमें दिए गए हैं।
गौरतलब है कि 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी के तिकोनिया में थार और एसयूवी से लोगों के कुचलने की घटना सामने आई थी। इस घटना में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हुई थी। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा इस मामले में मुख्य आरोपी हैं। किसान संगठनों ने सीधा आरोप लगाया है कि जो गाड़ी किसानों को रौंदते हुए आगे बढ़ी (जिसका वीडियो क्लिप भी सामने आया है) वो आशीष मिश्रा की ही थी। इसीलिए किसान इस मामले में आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं।
इसी बात को आधार बनाकर विपक्षी पार्टियां भी लगातार योगी मोदी सरकार पर हमलावर थी, इसीलिए अब इस मामले में तेजी दिखाते हुए शासन-प्रशासन तेजी के साथ कार्रवाई करने में जुटा है। इसका ताजा उदाहरण समन भेजने की ये कार्रवाई है वहीं इससे पहले खबर आई थी कि हिंसा मामले में यूपी सरकार की तरफ से घटना की जांच के लिए एक सदस्यीय आयोग का गठन किया है। इस आयोग को मामले की जांच के लिए दो महीने का समय दिया गया है। इस जांच आयोग में इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज प्रदीप प्रदीप कुमार श्रीवास्तव शामिल हैं। बहरहाल अब इस मामले में जांच पूरी होने का इंतजार है वो अलग बात है कि अब भी किसान संगठन और मृतक किसानों के परिवार वाले शासन-प्रशासन की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है।
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