घुसपैठ, ये शब्द अक्सर सरहदों से आई खबरों में सुनने या पढ़ने को मिलता है लेकिन आज कल इस शब्द की चर्चा देवी-देवताओं की भूमि उत्तराखंड में जोरों-शोरों से चल रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से खबर आई है कि उत्तराखंड में रोहिंगयाओं और बांग्लादेशी मुसलमानों की घुसपैठ बढ़ रही है। पहले तो एक खास समुदाय की तादाद मैदानी इलाकों तक ही सीमित थी लेकिन अब पर्वतीय इलाकों में भी एक अच्छी खासी संख्या गैर हिंदू लोगों की हो गई है। दरअसल खूफिया विभाग से जो इनपुट राज्य सरकार को मिले हैं उसने सरकार की नींद उड़ा दी है। मीडिया में आई खबर के मुताबिक खूफिया विभाग ने उत्तराखंड सरकार को जानकारी दी है कि हिंदुओं के तीर्थ स्थल वाले क्षेत्रों में रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुस्लमानों की बसावट धीरे धीरे बढ़ रही है। खूफिया एजेंसियों से मिली सूचनाएं बताती हैं कि पिछले कुछ सालों में चारधाम, हरिद्वार, ऋषिकेश जैसे तीर्थ स्थलों में गैर-हिंदुओं की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। खासतौर पर अगर हरिद्वार की बात करें तो खूफिया विभाग के पास यहां को लेकर जो जानकारी है उसने सरकार को चिंता में डाल दिया है, मिली जानकारी के मुताबिक गंगा किनारे के आसपास ऐसी आबादी ज्यादा है और ये धीरे धीरे बढ़ रही है। हालात यहां तक आ गए हैं कि रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुस्लमानों की घुसपैठ के कारण पहाड़ों से लोग अब पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं। एक तो पहाड़ों में वैसे ही गांव के गांव खाली होते जा रहे हैं जिस वजह से यहां के मूल निवासियों की जनसंख्या भी घटती जा रही है। खाली हो रही जमीनों को खरीदकर बाहर से आ रहे एक खास समुदाय के लोग यहां बसते चले जा रहे हैं। सरकार को इस बात का डर सता रहा है कि ऐसा होने से यहां की सांस्कृतिक पहचान, डेमोग्राफिक्स बदलाव और सामाजिक-धार्मिक ताने बाने पर चोट पहुंचेगी और उस पर खतरा मंडरा सकता है। ऐसे में ये जानकारी आई है कि सरकार ने इसपर सतर्कता बरतते हुए इस पर निगरानी और इस पर नकेल कसने की कोशिश तेज कर दी है। उदाहरण के लिए जमीन की खरीद फरोख्त पर सरकार की खास नज़र है खासतौर पर वो क्षेत्र जिनकी पहचान हिंदू तीर्थ स्थल के तौर पर है। इसके अलावा गैर उत्तराखंड के लोगों के सत्यापन के लिए अभियान चलाया जाएगा क्योंकि इंटेलिजेंस की रिपोर्ट में ये बात भी सामने आई है कि बड़ी तादाद में नेपाली मूल के नागरिक भी अवैध रूप से यहां रह रहे हैं, इन लोगों ने तो बाकायदा अपने पहचान पत्र और फर्जी आधार कार्ड तक बनावाए हैं। गौरतलब है कि उत्तराखंड के कुछ हिंदू संगठन बार बार ये बात कह रहे थे कि असम की तर्ज पर सुनियोजित तरीके से एक खास समुदाय की आबादी को धीरे धीरे प्रदेश में बसाया जा रहा है, यहां तक की इनमें से कई संगठनों ने सरकार को ज्ञापन भी सौंपा था लेकिन अब जो इंटेलिजेंस के इनपुट आए हैं उसने इस डर और आशंका पर सत्यता की मुहर लगा दी है। यहां तक की खुद सीएम धामी भी कह चुके हैं कि इस तरह की चर्चाएं चल रही थीं और इसको लेकर कुछ ठोस काम किया जाएगा साथ ही सीएम धामी ने साम्प्रदायिक सौहार्द ना बिगड़े इसे लेकर हर जिले में शांति शांति समीति गठित करने का भी फैसला किया है। साफ है कि एक समुदाय विशेष और इसमें भी रोहिंग्या, बांग्लादेशी और नेपाली लोगों की बढ़ती आबादी यहां के जनसांख्यिकीय पहचान पर तो खतरा है ही साथ ही साथ शांति और अध्यात्मिक पहचान रखने वाले पर्वतीय इलाकों में अपराध और हिंसा की घटनाओं को बढ़ाएगा।
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