देवताओं की भूमि कहा जाने वाला उत्तराखंड जहां जाने का मन या जहां घूमने का इरादा पृथ्वी लोक में शायद ही कोई होगा जो ना रखता हो। आस्था और नेचर का ऐसा संगम कहीं और शायद ही देखने को मिले। लेकिन क्या कभी आपने ये सोचा है कि इतना खूबसूरत प्रदेश होने के बाद भी यहां के मूल निवासी इसे छोड़कर शहर क्यों चले आते हैं, क्यों हर साल देवदारों और चीड़ के जंगलों के बीच बसे गांव के गांव खाली हो रहे हैं। पलायन उत्तराखंड पर दंश की तरह है। इसके यूं तो कई कारण हो सकते हैं लेकिन हुक्मरानों या नीति निर्माताओं की नीतिगत गलतियां या पहाड़ की बनिस्पत मैदान को ज्यादा तवज्जो देना या विकास को मैदानी भाग तक सीमित कर देने जैसे फैसले संभवत सबसे बड़े कारणों में से एक रहे हैं। बहरहाल, आज हम बात पलायन के कारणों की नहीं बल्कि हम आपको बताएंगे की उत्तराखंड का वो कौन सा गांव हैं जहां के एक दो नहीं बल्कि पूरा गांव ही आत्मनिर्भर बनकर पलायन को मात दे रहा है। दूसरे गांव और लोगों के लिए मिसाल बनने वाला ये गांव पनीर गांव के रूप में जाना जाता है। आखिर इस गांव को क्यों कहा जाता है पनीर गांव, और कैसे पनीर पर निर्भर इस गांव की अर्थव्यवस्था आज से नहीं बल्कि आजाद भारत से ही चली आ रही है। उत्तराखंड के इस पनीर गांव की दिलचस्प और प्रेरित करने वाली पूरी कहानी इस वीडियो में जानिए।
पनीर से लाखों कमा रहे हैं उत्तराखंड के इस गांव के लोग, आज तक नहीं हुआ एक भी पलायन !
Updated: Sep 23, 2021
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