की आग में जलता लखीमपुर खीरी, ढूंढ रहा है कई सवालों के जवाब, आखिर 8 लोगों की मौत का गुनहगार कौन ? लखीमपुर खीरी कोई हादसा था या फिर सोची समझी साजिश का एक हिस्सा ? हिंसा के बाद हुई आगजनी पर विपक्ष क्या सिर्फ राजनीतिक रोटी सेंकेगा या इस घटना पर एकजुट होकर सरकार से सवाल भी पूछेगा ? तमाम सवालों को उठाती और हकीकत से रूबरू कराती हमारी ये रिपोर्ट पढ़िए।
यूपी का लखीमपुर खीरी, राजधानी लखनऊ से भले ही 130 किमी दूर हो लेकिन यहां आज जो हुआ उसकी तपिश लखनऊ ही नहीं दिल्ली के सियासी गलियारों तक में महसूस की गई। हिंसा के तांडव में कुल 8 लोगों की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए । किसानों का सीधा आरोप है कि केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्र के कहने पर ड्राइवर ने किसानों को कुचलने के मकसद से उनपर गाड़ी चढ़ा दी जिसमें 4 किसानों की दर्दनाक मौत हो गई तो वहीं दूसरा पक्ष यानि केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी का कहना है कि बीजेपी कार्यकर्ताओं की कार पर पथराव किया गया जिससे गाड़ी पलट गई, इसी में दबकर दो लोगों की मौत हो गई , इसके बाद बीजेपी कार्यकर्ताओं को पीटपीटकर मार डाला गया। अब इस पूरे प्रकरण में दोषी कौन है और पीड़ित कौन, ये तो निष्पक्ष जांच के बाद ही पता चल सकेगा। सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में बयान जारी कर कहा है कि सरकार मामले की तह मे जाएगी और दोषी बख्खे नहीं जाएंगे। दरअसल जब ये पूरी घटना घट रही थी तब सीएम योगी गोरखपुर दौरे पर थे, खबर पाते ही उन्होनें तुरंत अपना दौरा रद्द किया और लखनऊ रवाना हो गए। वहीं पहले से ही सरकार से नाराज चल रहे किसान इस घटना के बाद बहुत ज्यादा आक्रोश में है और अब किसान धीरे धीरे इक्ट्ठा होकर लखीमपुर खीरी कूच रहा है। हालात बेकाबू होता देख एहतियातन इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया गया है। पीएसी के साथ पैरा मिलिट्री फोर्स की तीन कंपनियां भी खीरी रवाना की गई हैं। वहीं सियासी ब्रिगेड भी अपना अपना मोर्चा लेकर घटनास्थल का कूच करेंगी, जिसमें शामिल नाम हैं, अखिलेश यादव, प्रियंका गांधी वाड्रा, भूपेश बघेल, चंद्र शेखर आजाद रावण। वहीं किसानों के नेता और किसान आंदोलन का बड़ा चेहरा राकेश टिकैत भी घटना का पता चलते ही लखीमपुर खीरी रवाना हो गए थे। वहीं राहुल गांधी ने इस घटना को नरसंहार बताते हुए कहा है कि जो इस अमानवीय नरसंहार को देखकर भी चुप है, वो पहले ही मर चुका है। आगे राहुल गांधी ने कहा कि, हम इस बलिदान को बेकार नहीं होने देंगे। वहीं अखिलेश यादव ने ट्वीट कर लिखा कि "कृषि कानूनों का शांतिपूर्ण विरोध कर रहे किसानों को भाजपा सरकार के गृह राज्यमंत्री के पुत्र द्वारा, गाड़ी से रौंदना घोर अमानवीय और क्रूर कृत्य है। प्रदेश भाजपाइयों का ज़ुल्म अब और नहीं सहेगा। यही हाल रहा तो उप्र में भाजपाई न गाड़ी से चल पाएंगे, न उतर पाएंगे।" वहीं बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट कर लिखा कि " यूपी के जिला लखीमपुर खीरी में 3 कृषि कानूनों की वापसी की माँग को लेकर आन्दोलन कर रहे किसानों पर केन्द्रीय मंत्री के पुत्र द्वारा कथित तौर पर कई किसानों की गाड़ी से रौंद कर की गई हत्या अति-दुःखद। यह भाजपा सरकार की तानाशाही व क्रूरता को दर्शाता है जो कि इनका असली चेहरा भी है।" वहीं आजकल राजनीतिक गलियारों में काफी चर्चित नामों में से एक नवजोत सिंह सिद्धु ने भी इस पर ट्वीट करते हुए बयान जारी किया है उन्होनें लिखा 'कानून से ऊपर कोई नहीं... केंद्रीय मंत्री के बेटे के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत एफआईआर दर्ज होनी चाहिए, निर्दोष किसानों की हत्या के आरोप में उसे तुरंत गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे डालना चाहिए !!' जाहिर है हर राजनीतिक दल चुनाव से पहले ऐसे मौके का फायदा उठाना चाहेगा, हिंसा के बाद हुई आगजनी में राजनीतिक रोटियां सेंकने का सिलिसिला देखने को मिलेगा।
इस घटना को लेकर जो अब तक बताया जा रहा है वो बात कुछ ऐसी है कि, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के पैतृक गांव के दौरे पर आए डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को रिसीव करने के लिए उनके बेटे आशीष मिश्र जा रहे थे इसी दौरान विरोध कर रहे किसानों से उनकी झड़प हो गई। इन सब के बीच सोशल मीडिया पर इस घटना का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें किसानों की भीड़ लाठी डंडो से एक शख्स को बेहरमी से पीटती नज़र आ रही है, बताया जा रहा है ये वही ड्राइवर है जिसकी मौके पर ही मौत हो चुकी है। जाहिर है ये वीडियो जांच में अहम भूमिका निभाएगा लेकिन सिर्फ एक वीडियो के आधार पर सच और झूठ का फैसला नहीं किया जा सकता। अब देखना होगा कि इस मामले की जांच और उस जांच के नतीजों के आधार पर दोषी पाए गए लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है।
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